Friday, May 21, 2010

पत्रकार

एक व्यक्ति पशुओं के डॉक्टर के पास पहुंचा और कहा कि तबियत ठीक नहीं लग रही है, दिखाना है। डॉक्टर ने कहा कि कृपया मेरे सामने वाले क्लीनिक में जाएं, मैं तो जानवरों का डॉक्टर हूं। वहां देखिए, लिखा हुआ है।

रोगी– नहीं डॉक्टर साब मुझे आप ही को दिखाना है।

डॉक्टर– अरे यार, मैं पशुओं का डॉक्टर हूं। मनुष्यों का इलाज नहीं करता।

रोगी– डॉक्टर साब मैं जानता हूं और इसीलिए आपके पास आया हूं।

इस पर डॉक्टर साब चौंक गए। जानते हो? फिर मेरे पास क्यों आए।

रोगी- मेरी तकलीफ सुनेंगे तो जान जाएंगे।

डॉक्टर- अच्छा बताओ।

रोगी– सारी रात काम के बोझ से दबा रहता हूं।

सोता हूं तो कुत्ते की तरह सोता हूं।

चौबीसों घंटे चौकस रहता हूं।

सुबह उठकर घोड़े की तरह भागता हूं।

रफ्तार मेरी हिरण जैसी होती है।

गधे की तरह सारे दिन काम करता हूं।

मैं बिना छुट्टी की परवाह किए पूरे साल बैल की तरह लगा रहता हूं।


फिर भी बॉस को देखकर कुत्ते की तरह दुम हिलाने लगता हूं।

अगर कभी, समय मिला तो अपने बच्चों के साथ बंदर की तरह खेलता हूं।

बीवी के सामने खरगोश की तरह डरपोक रहता हूं।

डॉक्टर ने पूछा – पत्रकार हो क्या?

रोगी- जी

डॉक्टर- इतनी लंबी कहानी क्या बता रहे थे। पहले ही बता देते। वाकई, तुम्हारा इलाज मुझसे बेहतर कोई नहीं कर सकता। इधर आओ। मुंह खोलो.. आ करो... जीभ दिखाओ....

20 comments:

imnindian said...

good one...

Stuti Pandey said...
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Rajeev Nandan Dwivedi kahdoji said...

बहुत सही इलाज !!

PD said...

हर जगह यही हाल है दोस्त.. :)

Anonymous said...

हे भगवान ! एक शब्द ही बोलूंगी -'दुष्ट'
सुबह सुबह इतनी हँसी हूँ ना कि मत पूछो.
हँसी ठीक? नोट हसीं (हसीन).
अरे ! अआप्का वो पत्रकार पात्र का क्या भरोसा और वो है भी आपका लाडला तो आपका भी क्या भरोसा?
पर....मूड फिरेस फिरेस हो गया जी.

प्रवीण पाण्डेय said...

हा हा हा हा ।

ek talaash said...

बहुत खूब..
पत्रकारों का असली चेहरा और गुण आपने बहुत अच्छी तरह से यहां दिखाएं है...वास्तव में आप पत्रकार हैं...आशा करते हैं कि आप आगे भी ऐसे ही हमारा मनोरंजन करते रहेंगे....

Pawan Kumar Sharma said...

thanx for all nice comments

Unknown said...

Baut khoob patrakar to marne ke liye he paida hota hai

Arun Kashyap said...

very nice pawan bhai,,,,,

kahin ye patrkaron ke ilaz ke liye janwaron ke doctors ke paas jane ki advise to nahi hai na.....

Arun Kashyap said...
This comment has been removed by the author.
अविनाश वाचस्पति said...

अनकही
हो गई कही
फिर भी रहेगी
सदा अनकही
कैसी रही
बोलो भई।

Pawan Kumar Sharma said...

bahut khub rahi avinash ji

Unknown said...

hahahaha, sahi kaha dost

hindu samaj said...

apni life bhi kuch aisi hai dost

Pawan Kumar Sharma said...

aapki kyA sabhi ki lige isse milti julti hi hai

lovely kankarwal said...

हा हा हा हा वाह वाह ,,,,,,एक बार पतिदेव बीमार पढ़ गये तो पत्नी से बोले की मुझे पशुओ के डाक्टर के पास ले चलो, बीबी हेरान हो बोली,हाय हाय जी ऐसे क्यों कह रहे हो, पति', तो और क्या कहू सुबह मुर्गे की तरह उठ जाता हूँ,घोड़े की तरह भाग कर ऑफिस जाता हूँ,सारा दिन गधे की तरह काम करता हूँ,श्याम को घर आकर बच्चो पे कुत्ते की तरह भोंकता हूँ,और रात को भेंस के साथ सो जाता हूँ,,,,हा हा हा

निहाल सिंह said...

sahi kha dost aapne patrkaar ki jindgi aaise hi hoti hai

KUNDAN VASHISHTH said...

Dil se likha h.

KUNDAN VASHISHTH said...

Dil se likha h.