Monday, July 13, 2009

थकान

थकान कई तरह की होती है। कोई चलते-चलते थक जाता है। कोई पढ़ते-लिखते थक जाता है। कोई बार-बार असफल होने पर, बार-बार लक्ष्य न प्राप्त होने पर थकान महसूस करता है। लेकिन उसकी थकान देख मैं आश्चर्य में पड़ गया था। उस बूढ़ी मां का जवान बेटा उसे अपनी गोद में उठाकर मतदान स्थल तक लाया था। मतदान स्थल उसके घर से लगभग 3 कि.मी. दूर था। उसने अपनी मां की मतदाता संख्या पर्ची आगे बढ़ाई। मतदाता अधिकारी को उसकी मां का नाम, नम्बर मतदाता सूची में तो मिला लेकिन वह मृतक सूची में था। मृतक घोषित होने के कारण वह अपनी मां का मत नहीं डलवा पाया। तब जैसी थकान उस युवक के चेहरे पर थी वैसी थकान मैंने पहले कभी नहीं देखी थी। ये थकान वैसी ही थी जैसे कोई यात्री ट्रेन पकड़ने के लिए दूर से दौड़ रहा हो फिर भी ट्रेन न पकड़ पाए।
उधर बूढ़ी मां अपने बेटे का मुंह ताके जा रही थी। बोली, ''बेटा क्या हुआ? क्या मेरा वोट नहीं है?'' ''हां मां तुम्हारा वोट नहीं है किसी ने कटवा दिया है आपको मरा हुआ घोषित करवा कर।''
''तो क्या अब हम वोट नहीं दे सकते?'' ''हां मां, अब आप वोट नहीं डाल सकतीं। चलो घर चलते है।'' और निराश हो बेटा मां को फिर से पीठ पर लादकर चल दिया। बिना मतदान किए मां को लादना उसे कितना भारी पड़ रहा था। उसकी थकान कब तक मिट पायेगी मैं यह सोचता ही रह गया।

1 comment:

vikas said...

par pawan ji .main aapki is "thakaan"ko padne ke baad bilkul nhi thaka