Sunday, March 22, 2009

एक मुहब्बत पार्टी भी है सियासी मैदान में

बड़ी पार्टियों के नाम से तो लगभग सभी वाकिफ होंगे, लेकिन निर्वाचन आयोग में ढेरों ऐसे दल भी पंजीकृत हैं, जिनके नाम तो बेहद दिलचस्प हैं, लेकिन आम आदमी उनके बारे में कुछ नहीं जानता। ऐसे दलों में से कुछ के नाम बड़े ही अजब-गजब हैं। मसलन भारतीय मुहब्बत पार्टी नाम से भी एक सियासी दल है, जो आयोग से पंजीकृत है। इस पार्टी का उद्देश्य अपने नाम के अनुरूप ही है। इसी प्रकार एक पिरामिड पार्टी आफ इंडिया भी है, जिसका मिस्र या उसके पिरामिडों से कोई लेना-देना नहीं है। बहरहाल अजब-गजब नामों वाले दलों की लंबी फेहरिस्त में ये तो कुछ नमूने हैं।
वैसे निस्वार्थ सेवा पार्टी और लोक भलाई पार्टी नाम से भी दल आयोग में पंजीकृत हैं, जिनके कर्ता-धर्ता यह दिखाना चाहते हैं कि राजनीति को वे सेवा धर्म मानते हैं और लोगों की सेवा करने के लिए ही उन्होंने पार्टियां गठित की हैं।
आम आदमी के साथ अपने को जुड़ा दिखाने वाले दलों की भी कमी नहीं है। जिनमें राष्ट्रीय गरीब दल, राष्ट्रीय हमारा दल और अपना दल का नाम उल्लेखनीय है।
देशभक्ति का जज्बा पैदा करने वाले भी ढेरों दल हैं। देशभक्त पार्टी, जय हिंद पार्टी और क्रांतिकारी जय हिंद सेना नाम से बनी पार्टियां देश के नाम पर कुर्बान हो जाने का दम भरती हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के रास्ते पर चलने का उद्घोष करने वाले दल भी बहुतेरे हैं। भारतीय प्रजातांत्रिक शुद्ध गांधीवादी कृषक दल अपने-आपको गांधीवाद के लिए पूरी तरह से समर्पित बताता है। इसी प्रकार एक यूथ एंड स्टुडेंट्स पार्टी भी है, जिसका नारा है कि युवक ही देश का भविष्य हैं और इनमें ही इतिहास बनाने का दम है। इसी क्रम में शिक्षित बेरोजगार सेना, शोषित समाज पार्टी और शोषित समाज दल और संपूर्ण विकास दल भी हैं, जो शोषित और वंचित की आवाज बनने का दम भरते हैं। महिला उत्थान के लिए नारी शक्ति पार्टी भी हैं। महात्मा फुले के नाम पर फुले भारती लोक पार्टी भी है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, राष्ट्रीय साकार पार्टी और मूल भारत पार्टी नाम से भी दल चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं।

3 comments:

ashvin said...

kya baat hai pawan ji aap to bahut khub likhte hain

ashvin said...

aisi maa ko to bich chorahe par goli mar deni chahiye. aapki story pad kar maine child ki madad k liye 10 thousand ka draft bhej diya hai. main ak garib k liye itna hi kar saka

Reema said...

इतनी सारी पार्टियों से ये तो पता चलता है कि कितने सारे लोग हैं जो देश के लिए कुछ करना चाहते हैं!! पर सहकारिता की कमी के चलते राजनीति में बस अराजकता का माहौल है।