दिल्ली में लाखों लोग ऐसे भी हैं, जिनके पास कोई ठिकाना नहीं है। वे किसी पुल-पुलिया के नीचे अथवा फुटपाथ पर गुजारा करते हैं। ऐसे लोगों को अभी तक लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होने का मौका नहीं मिल पाता था, क्योंकि बेघर होने के कारण उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल ही नहीं किया जाता था, लेकिन इस बार चुनाव आयोग कोशिश कर रहा है कि ऐसे लोगों का नाम भी मतदाता सूची में शामिल किया जाए और उन्हें वोट देने का अधिकार मिल सके।
बेघर लोगों के लिए दिल्ली में काम करने वाली एक संस्था की पहल पर पहली बार चुनाव आयोग ने लाखों बेघरों के लिए मतदाता पहचान-पत्र बनाने के आदेश जारी किए हैं। एक गैरसरकारी संस्था द्वारा कराए गए सर्वे के मुताबिक दिल्ली की करीब डेढ़ फीसदी आबादी आज भी बेघर है। इसमें वो लोग शामिल नहीं हैं जो तांगा, तिपहिया, रिक्शा या फुटपाथ को ही अपना आशियाना समझते हैं। बेघर लोगों के एक निश्चित ठौर-ठिकाने की बात की जाए तो बमुश्किल पांच हजार लोग रैन बसेरों में रहते हैं। इसके अलावा लाखों लोग शहर के फ्लाईओवर, सब-वे, गोल चक्कर तथा फुटपाथों पर अपनी जिंदगी गुजारते हैं।
बेघर लोगों के लिए राजधानी में काम कर रही गैर सरकारी संस्था 'शहरी अधिकार मंच' के संयोजक धनंजय टिंगल के अनुसार दिल्ली में लाखों ऐसे लोग हैं, जो बेघर तो हैं, किंतु शहर में किसी निश्चित जगह पर ही वर्षो से रात गुजारते आ रहे हैं। संस्था ने आयोग से गुजारिश की है कि ये लोग जिस स्थान पर बर्षो से रह रहे हैं, उन स्थानों को ही उनका पता मानकर मतदाता पहचान पत्र जारी किया जाना चाहिए। संस्था ने गत 9 फरवरी को चुनाव आयोग को एक पत्र लिखा था, जिस पर कार्रवाई करते हुए दिल्ली के संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी उदय बख्शी ने दिल्ली के सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को आदेश दिया है कि वे क्षेत्र के बेघर लोगों की पहचान कर उनका नाम मतदाता सूची में जोड़ने काम शुरू करें। इन लोगों को मतदाता पहचान पत्र कैसे मिले इस बाबत उन्होंने जिला चुनाव अधिकारी को मसविदा तैयार करने का भी आदेश दिया है।
संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी की यह पहल निश्चित रूप से यह चुनौतीपूर्ण होगी, लेकिन इससे राजधानी में सालों से गुमनाम जिंदगी जी रहे लाखों लोगों मतदान का अधिकार और पहचान तो हासिल हो ही जाएगी।
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