Friday, May 1, 2009

मेरठ की दो कातिल लड़कियो की दास्ताँ - ताने और पिटाई ने बना डाला कातिल


मैं बहुत छोटी थी, तो सभी लोग बेहद प्यार करते थे। सुंदर भी काफी थी। पिता प्रेमवीर सिंह हाइडिल में जूनियर इंजीनियर थे। काफी प्यार से पढ़ाना शुरू किया था। लगता ही नहीं था कि घर के भीतर ही कभी ऐसा भेदभाव शुरू हो जाएगा। शुरुआती शिक्षा जेपी स्कूल से की और फिर 2002 में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ फैशन डिजाइनिंग से डिप्लोमा किया। वर्ष 2005 में मिशिका गु्रप की तरफ से मिस मेरठ चुना गया। वह इस प्रतियोगिता में हिस्सा नहीं लेना चाहती थीं लेकिन फैशन डिजाइनिंग से जुड़ी उनकी एक मेम के कारण ही शामिल हुई। बस इसके बाद ही परिवार के लोगों का नजरिया बदलना शुरू हो गया। भाई गौरव ने मारपीट शुरू कर दी। वह अभद्रता करता था और यहां तक टीका टिप्पणी करता था कि वह धामा की नाजायज औलाद है। ये बातें कई बार उसके पिता तक ने कहीं जो उसे तीर की तरह चुभीं। कई बार गौरव ने पिटाई करते हुए कहा कि आवारा लड़कों की तरह घूमती फिरती है। तेरे ऊपर जितना खर्च करता हूं, अगर उतना किसी कुत्ते पर खर्च करता तो वो भी वफादार रहता। भाई के कारण ही वो मेरठ छोड़कर दिल्ली चली गई और नोएडा के सेक्टर सात में एक हॉस्टल में रहने लगी। दिल्ली के पॉलीटेक्निक कालेज में एडमिशन लिया। पर उसे कभी भी गौरव गाली बकते हुए बुला लेता था और कहता था कि घर के सभी काम तू करेगी। गौरव की उसके बारे में कितनी घटिया सोच थी, वो इस बात से ही पता चल सकता है कि एक दिन उसने अपने दोस्त विकास से कहा कि प्रियंका को पटा ले। बुखार तक में उसकी पिटाई की जाती थी और हॉस्टल से जबरन बुलाया जाता था। पिता से भाई की शिकायत की तो उन्होंने भी डपटते हुए अपशब्द कहे। पिता की हालत खराब हुई तो उसने ही दिल्ली से आकर पिता को आनंद अस्पताल में भर्ती कराया। वहीं उसकी मुलाकात अंजू से हुई। वह उसे अपने घर ले आई तो उसके सामने भी गौरव ने उसकी पिटाई की। ऐसे में वह घर आने से कतराने लगी कि उसकी पिटाई होगी। उसे मां की मौत की खबर देकर बहाने से बुलाया गया और फिर पिटाई की गई।
इसके बाद वह अप्रैल माह में अंजू और उसके चचेरे भाई अजेंद्र के साथ चली गई। ऐसे में उसकी मां ने अमरोहा देहात थाने में अपहरण की रिपोर्ट लिखाई जिसमें उसने बयान दिए कि वह अपनी मर्जी से गई है। ऐसे में गौरव ने कई बार ताने मारे कि वह उसके पिता की ऑरिजनल औलाद नहीं। वह खुद परेशान थी और ऊपर से अजेंद्र और उसके पिता ने उससे मुंह काला किया। वह अमरोहा से निकलकर दिल्ली चली गई और राष्ट्रीय महिला आयोग की शरण ली। अपने परिजनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। यहीं एक टीवी चैनल से भी मदद के लिए संपर्क किया। मामा के घर भी जाने की कोशिश की पर बात न बनी। इसके बाद एक परिचय से सहारनपुर तरुण के पास अंजू के साथ पहुंची और वहां से अमित के साथ मेरठ भेज दिया। यहां आकर अपनी मां से फोन पर संपर्क बनाने की कोशिश करती रही पर मां बराबर गाली गलौज करती रही। पीवीएस चले गए और वहां से भी फोन किए। रात में घर पहुंचे तो मां ने घुसते ही गालियां दीं। कहा कि महिला आयोग में मेरे बेटे को फंसाना चाहती है। वो इकलौता है। केस वापस ले ले। मां ने कहा कि वह अकेली भटकती फिरती रहती है। परिवार से भी उसे सहानुभूति और मदद नहीं मिलती। क्या ये सब ठीक है? इस बात को लेकर कहासुनी होती गई और और फिर माहौल इतना उत्तेजनात्मक हो गया कि गला घोंट दिया।
पहले रेप..फिर ब्लू फिल्म
-जिन दोनों युवतियों ने डबल मर्डर में अपना हाथ कबूल किया, उनके साथ भी ऐसा ही हुआ, जो ताउम्र उन्हें मौत के समान ही लगेगा। एक युवती के साथ उसके सगे चाचा ने रेप और ब्लू फिल्म तक तैयार कर डाली। भाई ने भी दोस्तों के साथ उससे रेप किया। हालांकि पुलिस अब ऐसे लोगों पर भी कार्रवाई करने का मन बना रही है और अमरोहा पुलिस से रिकार्ड तलब किया है।
प्रेम प्रयाग कालोनी में एक सप्ताह पूर्व हुए रिटायर्ड इंजीनियर प्रेमवीर सिंह और उनकी पत्‍‌नी संतोष की हत्या के मामले में पुलिस ने उनकी बेटी प्रियंका और उसकी सहेली अंजू को आरोपी बनाया है। दोनों ने पुलिस के सामने अपना हाथ कबूल कर भी लिया लेकिन इन दोनों ही युवतियों को उनके ही परिजनों ने जीते जी मार दिया। अंजू की अस्मत को तो उसके सगे चाचा डीपी सिंह ने उस वक्त रौंद डाला, जब वह बीए प्रथम वर्ष में पढ़ रही थी। यही नहीं उसकी ब्लू फिल्म तक तैयार की गई। पुलिस के मुताबिक, डीपी सिंह ने ही नहीं, उसके बेटे अजेंद्र ने भी अंजू की अस्मत को रौंदा और अपने दोस्तों के हवाले भी किया। उसके निर्वस्त्र कर फोटो ही नहीं खींचे गए, बल्कि ब्लू फिल्म भी तैयार की गई।
कमोबेश ऐसा ही प्रियंका के साथ भी हुआ। अपने फोटो और फिल्म पाने के लिए वो गिड़गिड़ाती रहीं लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। उल्टे उन्हें धमकाया गया। अगर किसी से कुछ कहा गया तो ठीक न होगा। युवतियों का आरोप तो यहां तक है कि दो माह तक उन्हें मकान में बंद कर यातनाएं दी गई और दुराचार किया गया।
एसएसपी रघुवीर लाल का कहना है कि फिलहाल हत्या के मामले में तो दोनों युवती आरोपी बनी ही हैं, अमरोहा देहात में उनके साथ जो रेप और ब्लू फिल्म बनाने की घटनाएं हुई, उन्हें अलग से जांच शुरू हो रही है। एसएसपी ने बताया कि इस पूरे मामले की जांच की रिपोर्ट अमरोहा भेजी जाएगी ताकि वहां आरोपियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सके।
अजेंद्र से शादी नहीं की
-प्रियंका ने साफ कहा कि अजेंद्र से कोई शादी नहीं की। वह जबरन उसके पीछे लगा था। उसके और उसके बदनाम दोस्तों के कारण भी खासी दिक्कत हुई।
गौरव पिटाई न करता तो हत्या न करती
-प्रियंका ने साफ साफ कहा कि अगर गौरव का उसके प्रति खराब रवैया न होता तो शायद उसके माता पिता की जान भी न जाती। भाई की पिटाई और नाजायज औलाद कहने जैसे शब्द खंजर की तरह सीने में धंसते थे और इसी उत्तेजना के चलते उसने मां और पिता की हत्या कर दी। हालांकि इन हत्याओं का उसे बेहद दुख है पर अब हो भी क्या सकता है?
उसने कहा मां का रवैया भी उसके साथ बेहद खराब था। घटना की रात कई घंटे तक उसकी मां से बात हुई लेकिन उसी वक्त उनके कई शब्द तीर की तरह चुभे और मां ने उसे थप्पड़ भी मारा। ऐसे में गुस्से में उसने मां का गला दबा दिया। मां की चीख निकली तो पिता भी जाग गए और पूछा क्या हो रहा है। उन्होंने दरवाजा बंद ही रखा और कह दिया कि कुछ नहीं हुआ। खिड़की पर उन्होंने चादर डाल दी। प्रियंका ने बताया कि मां का गला दबाने से उनकी नाक से खून आया तो उन्होंने कॉटन से रोक दिया। उसी वक्त मुंह से खून आया तो उसमें कपड़ा ठूंस दिया। कुछ देर बात पिता भीतर आने लगे तो अंजू ने उनके हाथ में चाकू मार दिया। इसके बाद उनकी हाथापाई होने लगी जिसमें वह गिर गए। इससे सिर में चोट लगी। फिर उन्होंने कई चाकू मारे और उनके मुंह में भी कपड़ा ठूंस दिया। प्रियंका ने बताया कि घटना के बाद करीब तीन घंटे तक घर में ही रहे, क्योंकि दोनों परेशान थे कि ये क्या हो गया और अब क्या होगा। मां पर इतना तरस आया कि उसके चेहरे का खून तक साफ किया और क्रीम भी लगाई। एसएसपी रघुवीर लाल ने बताया कि दोनों युवतियों से सभी सामान बरामद हो गया। एफडी करीब सात लाख रुपये की थी। इस काम में एसओजी के अलावा सीओ सदर अतुल श्रीवास्तव और एसओ मेडिकल आरवी कौल का खास योगदान रहा।
डीपी और उपेंद्र ने नसें तक काटीं
-प्रियंका ने रोते हुए बताया कि उसके और अंजू के साथ क्या कुछ अत्याचार नहीं हुआ। डीपी सिंह और अजेंद्र ने तो उसके हाथ की नसें तक काट दी थीं। दो माह तक उन्हें घर में ही बंद रखा। अमरोहा के अपर पुलिस अधीक्षक उदय प्रताप ने उन्हें मुक्त कराया।
प्रियंका ने कभी चूहा नहीं मारा वह मम्मी पापा को क्या मारेगी
-हमारी प्रियंका ने कभी जिंदगी में एक चूहा तक नहीं मारा है। वह मम्मी पापा को मारेगी? हत्या का राज अंजू के पेट में छिपा है। पुलिस की मौजूदगी में जो कहानी प्रियंका व अंजू ने आज बताई है वह पूरी तरह मनगढ़ंत हैं। यदि अंजू व प्रियंका को अलग-अलग कर कड़ी पूछताछ की जाय तो सच्चाई स्वयं पता चल जाएगी। हत्या करने में यह दोनों नहीं बल्कि कोई और मिलेगा। पुलिस यदि अब असली हत्यारों तक पहुंचना चाहती है तो मामले की गहनता से ही जांच करे।
यह कहना है मारे गए रिटायर्ड जेई प्रेमवीर सिंह व उनकी पत्‍‌नी संतोष सिंह के परिजनों का। हत्या में बेटी प्रियंका एवं उसकी सहेली अंजू की गिरफ्तारी कर पुलिस द्वारा हत्याकांड का खुलासा परिजनों के गले नहीं उतर रहा है। वह दावा कर रहे हैं कि हत्या ये दोनों नहीं कर सकती हैं। हत्या के पीछे कोई और है जिसे अभी छुपाया जा रहा है। अथवा प्रियंका एवं अंजू पर कोई दबाव है। उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को भी कटघरे में खड़ा किया। परिजनों ने रोते बिलखते कहा कि सहेली अंजू ने उनका पूरा घर बर्बाद कर दिया है। परिजनों ने बताया कि प्रियंका 07 में दिल्ली पालीटेक्नीक में पढ़ने गई थी। पढ़ने जाने से पहले पूरी तरह से ठीक थी। वहीं दिल्ली स्थित हॉस्टल में वह अंजू के संपर्क में आई थी। उसने प्रियंका को भी वहां गुमराह कर जाल में फंसा लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि अंजू दिल्ली स्थित हास्टल में गलत नाम पता देकर रहती थी। हास्टल में जाकर यदि मेरठ पुलिस जांच करे तो सच्चाई सामने आ जाएगी।
ऐसे पहुंची पुलिस प्रियंका और अंजू तक
-सात दिन तक खाक छानने वाली पुलिस को डबल मर्डर में सफलता मिली भी तो अपने ही घर में। प्रियंका और अंजू तक पहुंचने के लिए पुलिस की कई टीमें बनाकर छापेमारी कराई गई पर दोनों युवतियां मेरठ में ही बैठकर पुलिस की कार्रवाई पर नजर रखे रहीं। तमाम लोगों को उठाया गया और इसमें वे भी शामिल थे जो प्रियंका और अंजू के करीबी रहे। टीपी नगर क्षेत्र में दो दिन तक घरों को खंगाला गया और दोनों युवतियों को दबोचा गया तो यहीं से। फिर पूरा मामला खुलता चला गया।
डबल मर्डर के तुरंत बाद पुलिस को सबसे पहले शक गया अंजू के चचेरे भाई अजेंद्र और उसके साथियों पर। इसके लिए टीमों को अमरोहा और अलीगढ़ भेजा गया। दो टीमों को दिल्ली और नोएडा में प्रियंका की तलाश में लगाया गया। चूंकि घटना में संतोष का मोबाइल फोन भी गया था तो पुलिस ने सबसे पहले उसके मोबाइल की कॉल डिटेल निकलवाई। उस फोन से आखिरी कॉल सुबह साढ़े पांच बजे की गई और वो भी दशमेशनगर के टावर के माध्यम से। यह तो साफ हो गया कि हत्यारे दशमेश नगर की तरफ गए हैं। लेकिन पुलिस ने समझा शायद उस रास्ते से आगे बढ़ गए हैं। मोबाइल को चूंकि तोड़ दिया गया, इस कारण उसके आगे कॉल हो ही नहीं पाई। एसएसपी रघुवीर लाल ने बताया कि सबसे पहले अमरोहा क्षेत्र में दबिश देकर कुलदीप को उठाया गया। कुलदीप अजेंद्र का करीबी है। कुलदीप से ही पता चला कि प्रियंका उनके पास नहीं है। वह सहारनपुर में तरुण के पास हो सकती है। तरुण की सेमसंग कंपनी की एजेंसी है। वे उसके पास काम मांगने गयी थीं। सहारनपुर दबिश देकर तरुण से पूछताछ की गई तो उसने प्रियंका के बारे में बताया जरूर लेकिन ज्यादा जानकारी अमित लोधी को होने के बारे में कह दिया। अब पुलिस के हाथ अमित लोधी नहीं आ रहा था। कप्तान ने बताया कि इसके चलते ही यहां पिछले दो दिनों से युवतियों को खोजने का अभियान चल रहा था। दशमेशनगर के अलावा गुरुनानक नगर को भी खंगाला गया। कुछ पता नहीं चला तो फिर कमला नगर को चुना गया। उन्होंने खुद पान वाले, दूध वालों से पूछताछ की। घर घर जाकर दो युवतियों के किराये पर रहने की जानकारी ली। इसी बीच अमित लोधी को भी उठा लिया और उसने ही मकान बताया। यहां एक छोटा सा कमरा पांच सौ रुपये किराये पर दिलाया गया था। कप्तान ने बताया कि यह कमरा एक नवंबर को ही लिया गया था और तब से लगातार यहीं रह रही थीं और प्रियंका अपनी मां के संपर्क में थी। घटना करने के बाद दोनों तड़के यहां अपने कमरे पर पहुंची थीं और फिर बराबर समाचार पत्रों के जरिये केस के बारे में पढ़ रही थीं। यहीं से दस नवम्बर की शाम को दोनों पहले पीवीएस पहुंचीं और वहां से जागृति विहार। इस बीच बराबर प्रियंका अपनी मां से बात करने की कोशिश करती रही लेकिन मां संतोष बराबर उसे किसी के बैठे होने की बात कहकर टाल मटोल करती रही। रात 9.13 बजे तक उसने फोन पर मां से बात की और इसके बाद अंजू के साथ घर पहुंची। एसएसपी ने बताया कि शुरू में तो प्रियंका और अंजू ने हत्या में अजेंद्र और दूसरे कई लोगों के भी शामिल होने की बात कही लेकिन अंतत: उन्होंने सही स्थिति को बता दिया। कहा कि उनके अलावा हत्या में कोई दूसरा शामिल नहीं था।
एटीएम से चलता था खर्च
-एसएसपी ने बताया कि प्रियंका और अंजू के ब्वाय फ्रेंड अंशुल और एक सहारनपुर के दोस्त के एटीएम कार्ड के जरिये दोनों अपना खर्च चलाती थीं। घर से उन्हें कोई खर्च नहीं मिलता था।
दोस्तों का सहारा लिया पुलिस ने
-एसएसपी ने बताया कि घटना को खोलने के लिए उन्होंने प्रियंका और अंजू के सभी करीबी दोस्तों का सहारा लिया। अमित लोधी के अलावा तरुण, अंशुल, कुलदीप से भी जमकर पूछताछ की गई और उन्होंने ही उनकी गिरफ्तारी का रास्ता तैयार कराया।
वो सात दिन
-प्रियंका और अंजू के हत्या के बाद के सात दिन बेहद तनाव में और अब क्या होगा, सोचते हुए गुजरे। दोनों ही रोजाना समाचार पत्र पढ़ती थीं और उसमें हत्या की खबर पर विशेष नजर रखती थीं। कहते तो यहां तक हैं कि इस बीच में उन्होंने वकीलों की राय भी ली।
भाई पर लगाये आरोप निराधार
-प्रियंका द्वारा अपने भाई गौरव पर लगाए गए उत्पीड़न और मारपीट आदि के सभी आरोपों को परिजनों ने पूरी तरह निराधार बताया है। कहा कि दिल्ली में रहने वाली प्रियंका का पूरा खर्च गौरव ही उठाता था। गौरव द्वारा प्रियंका के साथ में मारपीट आदि के आरोप के बाबत परिजनों ने कहा कि वह अधिकांश बाहर रहा है। ऐसे में कब उसका उत्पीड़न किया गया।
सभी प्यार करते थे
-परिजनों ने बताया कि प्रियंका ने जो अपने परिवार में तिरस्कार और उपेक्षा आदि का आरोप लगाया है, उसमें भी कोई दम नहीं है। सबसे ज्यादा उसको ही घर में सब प्यार करते थे। लाड़ली बेटी थी वह। किसी ने उसे कभी हाथ तक नहीं लगाया। यदि उनकी यह बात गलत लगे तो पूरे रिश्तेदारों व कालोनी तक में पूछताछ की जा सकती है।
लड़की मर्डर नहीं कर सकती
-परिजनों ने कहा कि पुलिस भले ही कितना भी दावा क्यों न करे? प्रियंका एवं उसकी सहेली अकेले मर्डर नहीं कर सकती। मर्डर के पीछे कोई और है। उन्होंने मर्डर की साजिश रचने में अंजू की मुख्य भूमिका होने की बात कही। साथ ही यह भी कहा कि मर्डर करने वाले कोई और अभियुक्त हैं। परिजनों ने यह भी दावा किया है कि इस मर्डर में करीब तीन लोग शामिल रहे हैं।
प्रेमवीर को मिली थी धमकी
-परिजनों ने बातचीत में यह भी खुलासा किया कि करीब दो महीने पूर्व प्रेमवीर को हत्या की धमकी मिली थी। यह धमकी सहेली अंजू व उसके साथ रहने वाले लोगों ने दी थी। धमकी की बात प्रेमवीर ने अपने परिवार में बतायी थी। तीन चार बारह यह धमकी दी गई थी।
वसीयत में गौरव का नाम
-परिजनों ने बातचीत में यह भी आज खुलासा किया कि प्रेमवीर सिंह ने जो वसीयत की थी, उसमें केवल सोनिया व गौरव का नहीं केवल बेटे गौरव का ही नाम लिखा है। पुलिस ने भी गौरव के नाम ही वसीयत होने की पुष्टि की है।
हर कोई हैरान, बेटी ने कैसे किया काम तमाम?
-पुलिस ने सात दिन की कड़ी मशक्कत के बाद सेवानिवृत्त जेई प्रेमवीर सिंह व उनकी पत्‍‌नी संतोष सिंह की घर में ही की गई हत्या की आरोपी उनकी बेटी प्रियंका व उसकी सहेली अंजू को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन हर कोई हैरान हैं कि क्या दो युवती इस तरह से हत्या कर सकती हैं? अथवा इस दोहरे हत्याकांड का मास्टर माइंड व हत्यारा कोई और है, जोकि अभी तक पर्दे के पीछे है तथा वह पुलिस से बचा हुआ है।
मेरठ पुलिस ही नहीं सूबे में संभवत: यह पहली घटना होगी जिसमें हत्या में सिर्फ दो युवतियों के शामिल होने की बात पुलिस ने कही है। पुलिस के इस दावे में कितना दम है, यह तो पुलिस ही बता सकती है लेकिन दोहरी हत्या में सिर्फ दो युवतियों के होने का जो दावा किया गया है उससे कई सवाल भी उठ रहे हैं। पुलिस ने प्रियंका एवं अंजू की गिरफ्तारी के बाद यह दावा किया है कि इन दोनों ने हत्या की है, परन्तु परिजनों का तर्क है कि उनकी हत्या में कोई और भी शामिल है जो अभी तक पकड़ा नहीं गया है।
परिजन पहला सवाल यही उठा रहे हैं कि अकेले दोनों माता-पिता की हत्या नहीं कर सकतीं। क्योंकि हत्या से पूर्व प्रेम वीर सिंह के साथ संघर्ष भी हुआ था। साथ ही उनके दांए हाथ में कुछ बाल आदि भी मिले थे, जो कि किसी पुरुष के लग रहे थे। भले ही प्रेमवीर बीमारी की हालत में ही क्यों न होते? वह इतने भी कमजोर नहीं थे कि जो बेटी व उसकी सहेली के बस में आ जाते। जबकि उन पर कोई हथियार भी नहीं था। सच तो यह है कि यदि दोनों का वह कड़ा प्रतिरोध भी कर देते तो उनको स्वयं संभलना तक मुश्किल हो जाता। दूसरे यह भी किसी के गले नहीं उतर रहा है कि दोनों मिलकर घर में संतोष की हत्या कर दें और एक घंटे तक प्रेमवीर को पता ही नहीं चले। क्योंकि पीएम रिपोर्ट में भी यह बात सामने आ गई है कि पहले संतोष की हत्या हुई। इसके करीब एक घंटे बाद फिर प्रेमवीर सिंह की हत्या की गई। हालांकि बेटी प्रियंका ने इस बारे में यह बात कही है कि उन्होंने कमरा बंद करके मां संतोष की हत्या की बात को छिपाये रखा था। ताकि पिता को पता न चले। इस कारण ही पर्दे आदि डाले थे। हत्या के बाद सवा चार बजे तक ही प्रियंका व अंजू ने घर में रहने की बात कही है। इसके बाद मकान से जाने में रिक्शा से रवाना होने की बात कही है। यह बात भी किसी के गले नहीं उतर रही है। पहले तो यह कि उस सुनसान कालोनी में उस समय रिक्शा वहां तुरंत कैसे मिल गया? यह संभव नहीं है। दूसरे हत्या करने के बाद हत्यारा ऐसे साधन का प्रयोग नहीं करेगा? जिससे बाद में कोई उसको पीछा कर उसको दबोच ले। जबकि 11 नवंबर की सुबह जब पुलिस ने वहां अपना डॉग स्क्वायड घुमाया था तब वह कालोनी में दूर तक गया था। उससे एक बात यह साफ हुई थी कि संभवत: वहां हत्या करने के बाद सभी हत्यारे किसी वाहन आदि से रवाना हुए हैं। कार के निशान आदि भी उस दिन मिले थे। ऐसे में इस बात की पूरी संभावना है कि हत्या करने में दोनों के अलावा कोई और भी रहा है जिसकी तरफ परिजन साफ इशारा कर रहे हैं।
प्रियंका ने ही बांधा था कुत्ते को
-प्रियंका ने बताया कि घर में जो उनका कुत्ता था उसको उसने ही बांधा था। विदित हो कि हत्या के बाद सुबह जब पुलिस घर पहुंची थी तो उसने एवं अन्य लोगों ने यह बात कही थी कि वह कुत्ता बेहद खतरनाक था। परिवार के अलावा अन्य कोई व्यक्ति उसे काबू नहीं कर सकता था।
'..मैं अपनी मां को याद करूंगी'
-प्रियंका चौधरी उर्फ गुड़िया कभी मां के बेहद नजदीक थी। अब अचानक वह मां के साथ पिता की हत्या की आरोपी होने के कारण गिरफ्तार हो चुकी है। प्रियंका ने वर्ष-2005 में मिशिका ग्रुप द्वारा आयोजित की गई प्रतियोगिता में भाग लेकर मिस मेरठ का खिताब पाया था। उस समय जब निर्णायक मंडल के सदस्यों ने उससे यह सवाल पूछा था कि यदि वह 'मिस मेरठ' चुनी जाती हैं तो सबसे पहले क्या करेंगी? उसने तब बिना किसी देरी कहा था कि अपनी मां को याद करेगी। अब उसी माता की हत्या के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

राजधानी के 191 मतदान स्थल संवेदनशील

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने राजधानी के 191 मतदान स्थलों को संवदेनशील एवं 28 मत को अति-संवेदनशील घोषित किया है। दिल्ली पुलिस ने इन मतदान स्थलों की सूची मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय को सौंप दी है। इस बार दक्षिण जिला के 32 मतदान केंद्रों को संवेदनशील माना गया है। वहीं पूर्वी दिल्ली एवं उत्तर-पश्चिम जिले के 6 मतदान स्थलों को अति संवदेनशील की श्रेणी में रखा गया है। गत वर्ष नवंबर माह में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान दक्षिण जिला के ही 34 मतदान स्थलों को संवदेनशील एवं उत्तर-पूर्व जिले के आठ मतदान स्थलों को अति संवेदनशील घोषित किया गया था।
दिल्ली पुलिस की ओर से निर्वाचन कार्यालय को भेजी गई सूची में बाहरी दिल्ली जिले के 12, उत्तर-पश्चिम जिले के 14, उत्तरी जिले के 10, मध्य जिले के 13, दक्षिण जिले के 32, दक्षि ण-पश्चिम जिले के 15, पश्चिम जिले के 10, नई दिल्ली जिले के 2, पूर्वी जिले के 13 एवं उत्तर-पश्चिम जिले के 21 मतदान स्थलों को संवेदनशील घोषित किया गया है। इसी तरह बाहरी दिल्ली जिले के 1, उत्तर-पश्चिम जिले के 6, उत्तरी जिले के 4, दक्षिण जिले के 1, दक्षिण-पश्चिम जिले के 2, पश्चिम जिले के 1, पूर्वी जिले के 6, एवं उत्तर-पश्चिम जिले के 4 मतदान स्थलों को अति संवेदनशील घोषित किया गया है। गत वर्ष की तरह इस बार भी मध्य जिले एवं नई दिल्ली जिले में किसी बूथ को अति संवदेनशील घोषित नहीं किया है।