दिल्ली पर्यटन विभाग संजय झील में पानी की व्यवस्था तो कर नहीं पाया है, अलबत्ता विभाग ने पांच नई बोट जरूर खरीद ली हैं संजय झील में चलाने के लिए। दिल्ली पर्यटन विभाग संजय झील को सजाने की तो सोच रहा है, मगर विभाग की ओर से सूखी हुई इस झील में फिर से पानी लाने के कोई प्रबंध नहीं किए गए हैं। ऐसे में जब झील ही नहीं रही तो सूखी झील में नई बोट उतारना किसी तुगलकी योजना से कम नहीं है।
उल्लेखनीय है कि संजय झील एक प्राकृतिक झील है। पिछले कई वर्षो से इसके अंदर की गाद न निकाले जाने और इसमें अतिरिक्त पानी की आपूर्ति न किए जाने से इस झील का 90 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह से सूख चुका है। शेष बचे 10 प्रतिशत हिस्से में भी मात्र एक फुट की गहराई तक ही पानी बचा है। जिसमें गहरी गाद, काई और घास है। इसमें न तो नौकायन हो सकता है और न ही प्रवासी पक्षी यहां आते हैं।
ऐसे में दिल्ली पर्यटन विभाग ने झील की इस बदहाल स्थिति को दरकिनार करते हुए इसमें अतिरिक्त पानी की आपूर्ति कराने के बजाए पांच नई पैडल मारकर चलाने वाली बोट यहां के लिए खरीदी है। इन बोट को अत्याधुनिक एवं शिकारा नाव जैसा लुक प्रदान करते हुए इन पर छतें भी लगवाई गई हैं। इन महंगी बोट को संजय झील के एक फुट बचे पानी में जब उतारा गया तो ये झील में फंस गई और दो फुट दूरी तक भी नहीं चल पाई। जिससे दिल्ली पर्यटन विभाग के अधिकारियों को अपनी कमी का अहसास हो गया। मामले को लीपा-पोती करने का प्रयास करते हुए डीडीए अधिकारियों को संजय झील में पानी का प्रबंध करने को भी कहा गया है।
इस बारे में दिल्ली पर्यटन विभाग के मुख्य प्रबंधक केबी शर्मा से जब बात की गई तो वे समस्या के प्रति गंभीर नजर नहीं आए। उनका कहना था कि संजय झील के जिस क्षेत्र में पानी है, उस क्षेत्र में बोटिंग होती है। वहां पर उन्हें पानी की कोई कमी दिखाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि पानी भरपूर मात्रा में है, जिसके चलते वहां पर उन्होंने नई बोट पानी में उतारी है। जबकि हकीकत यह है कि उस हिस्से में भी बोट दो फुट नहीं चल पा रहीं। हालांकि आगे उन्होंने कहा कि संजय झील में पानी का प्रबंध करने का जिम्मा डीडीए का है, उनके विभाग का काम केवल वहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने का है। इस तरह उन्होंने गेंद डीडीए के पाले में डाल दी
उल्लेखनीय है कि संजय झील एक प्राकृतिक झील है। पिछले कई वर्षो से इसके अंदर की गाद न निकाले जाने और इसमें अतिरिक्त पानी की आपूर्ति न किए जाने से इस झील का 90 प्रतिशत हिस्सा पूरी तरह से सूख चुका है। शेष बचे 10 प्रतिशत हिस्से में भी मात्र एक फुट की गहराई तक ही पानी बचा है। जिसमें गहरी गाद, काई और घास है। इसमें न तो नौकायन हो सकता है और न ही प्रवासी पक्षी यहां आते हैं।
ऐसे में दिल्ली पर्यटन विभाग ने झील की इस बदहाल स्थिति को दरकिनार करते हुए इसमें अतिरिक्त पानी की आपूर्ति कराने के बजाए पांच नई पैडल मारकर चलाने वाली बोट यहां के लिए खरीदी है। इन बोट को अत्याधुनिक एवं शिकारा नाव जैसा लुक प्रदान करते हुए इन पर छतें भी लगवाई गई हैं। इन महंगी बोट को संजय झील के एक फुट बचे पानी में जब उतारा गया तो ये झील में फंस गई और दो फुट दूरी तक भी नहीं चल पाई। जिससे दिल्ली पर्यटन विभाग के अधिकारियों को अपनी कमी का अहसास हो गया। मामले को लीपा-पोती करने का प्रयास करते हुए डीडीए अधिकारियों को संजय झील में पानी का प्रबंध करने को भी कहा गया है।
इस बारे में दिल्ली पर्यटन विभाग के मुख्य प्रबंधक केबी शर्मा से जब बात की गई तो वे समस्या के प्रति गंभीर नजर नहीं आए। उनका कहना था कि संजय झील के जिस क्षेत्र में पानी है, उस क्षेत्र में बोटिंग होती है। वहां पर उन्हें पानी की कोई कमी दिखाई नहीं देती। उन्होंने कहा कि पानी भरपूर मात्रा में है, जिसके चलते वहां पर उन्होंने नई बोट पानी में उतारी है। जबकि हकीकत यह है कि उस हिस्से में भी बोट दो फुट नहीं चल पा रहीं। हालांकि आगे उन्होंने कहा कि संजय झील में पानी का प्रबंध करने का जिम्मा डीडीए का है, उनके विभाग का काम केवल वहां पर पर्यटन को बढ़ावा देने का है। इस तरह उन्होंने गेंद डीडीए के पाले में डाल दी
1 comment:
वाह जे बात ,
इसे ही कहते हैं व्हाट एन आईडिया सर जी ।
अब शीला जी से कहिए कि बस थोडे से टायर और लगवा दें उन बोटों में , एकदम फ़र्राटे से चलेंगी।
और मेट्रो के बाद एक और बडी उपलब्धि जुड जाएगी सरकार के नाम से ..सब गाएंगे ....जय हो ..जय हो
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