Sunday, May 9, 2010
आप भी कर सकेंगे तख्त-ए-ताऊस का दीदार
क्या आपने उस तख्त-ए-ताऊस को देखा है, जिसे नादिरशाह लूट ले गया था? क्या आप जानना चाहेंगे कि तीन सौ साल पहले दिल्ली का नक्शा कैसा था? तीस सौ साल पहले दिल्ली में परिवहन व्यवस्था कैसी थी और क्या थे पेयजल और मनोरंजन के साधन? दो सौ साल पहले कैसी दिखती थी कुतुबमीनार और डेढ़ सौ साल पहले कैसा था जामा मस्जिद का इलाका?
इन सभी सवालों का जवाब पाने के लिए आपको राष्ट्रमंडल खेलों तक इंतजार करना पड़ेगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं राष्ट्रमंडल खेलों की। दरअसल खेलों के दौरान दिल्ली में एक ऐसी प्रदर्शनी लगाई जाएगी, जिसमें सत्रहवीं शताब्दी के दौरान बनी कलाकृतियां प्रदर्शित की जाएंगी। इस प्रदर्शनी का आयोजन दिल्ली अर्बन आर्ट कमीशन द्वारा किया जाएगा। खास बात यह है कि प्रदर्शनी की सफलता के लिए 14 कलाकृतियां लंदन के संग्रहालयों से मंगाई जाएंगी।
दिल्ली के इतिहास से जुड़ीं ये कलाकृतियां लंदन के विक्टोरिया और अल्वर्ड संग्रहालय में रखी हुई हैं। देश छोड़ने के समय 1947 में अंग्रेज शासक इन्हें साथ ले गए थे। इनमें सबसे महत्व असली कलाकृति तख्त-ए-ताऊस की है, जिसकी कीमत उस समय 72 करोड़ लगाई गई थी। इसमें बेशकीमती कोहिनूर हीरा जड़ा था। शाहजहां से लेकर औरंगजेब तक मुगल शासकों ने इसी पर बैठकर शासन किया था। तख्त-ए-ताऊस को लूटकर नादिरशाह ईरान ले गया था, बाद में यह लंदन में पहुंचा।
लंदन से आने वाली कलाकृतियों में 1762 के चांदनी चौक, 1852 की जामा मस्जिद, लालकिला स्थित 1923 की मोती मस्जिद, पुराना किला, 1944 के लालकिला, दो सौ साल पहले के कुतुब मीनार के चित्र शामिल हैं। प्रदर्शनी कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने से एक सप्ताह पहले से शुरू होगी, जो खेलों के समापन के एक सप्ताह बाद तक चलेगी। अधिक से अधिक पर्यटक इस प्रदर्शनी को देख सकें इस उद्देश्य से इसे तीन स्थानों पर लगाया जाएगा। जिसमें लालकिला, दिल्ली विश्वविद्यालय व इंडिया हैबिटेट सेंटर शामिल हैं।
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2 comments:
bahoot khoob
ye to dainik jagran me tumhare naam se hi chapi thi
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