हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी
मैं ना तुझसे कभी हारा, पर मेरी जेब है तुझसे हारी
लड़ता रहता हूँ अपने आप से, इस ज़माने से
मगर यहाँ पर जीना है मौत से भारी!
हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी
खटता रहता हु सारा सारा दिन काम में
मगर रात में भूख मिटती नहीं हमारी
मैं ना तुझसे कभी हारा, पर मेरी जेब है तुझसे हारी
हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी
१०० के पेट्रोल में पहले जाता था एक हफ्ता, मगर अब
पूरा एक दिन भी नहीं चलती अपनी गाडी
खाना महंगा मगर यहाँ सस्ती है गाडी,
शायद इसी लिये अपने देश में बढ़ रहे हैं भिखारी
हाय रे महंगाई तू कैसी है महामारी
5 comments:
hmmm bahut gehraai hai, iss kavita me
गाड़ी में सीएनजी लगवा लो
फिर से सप्ताह भर दौड़ने लगेगी।
महंगाई है
तो इसका इलाज भी है।
hahaha, avinash ji car me to cng lagwa rakhi hai, magar bike ka kya karu
महंगाई से प्रेरित होकर हमारे मुहल्ले के कई लोगों ने अपनी कमाई बढ़ा ली और महंगाई को मुंह चिढ़ा रहे हैं, आपके लिए भी शुभकामनाएं.
hamne bhi mahangai se haar nahin maani hai, jugaad to hamne bhi kar hi liya hai rahul ji
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