दिल्ली पुलिस किस तरह से लोगो को अपराध के दलदल में फेंकने का काम करती है और अपना स्वार्थ पुरा न होने पर किस तरह से लोगो को झूटे मुकदमो में फंसने का काम करती है इसका नज़ारा कड़कड़डुमा कोर्ट में देखने को मिला । यहाँ पर एक व्यक्ति को जबरन घर से उठाकर उसके परिजनों से 25 हजार रुपये मांगने के आरोप में अदालत ने दिल्ली पुलिस के एंटी करप्शन ब्रांच के एसीपी, एक एएसआई और कांस्टेबल को जेल भेज दिया है। जब एसीपी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा था, उस समय वे आनंद विहार थानाध्यक्ष हुआ करते थे। यह फैसला कड़कड़डूमा कोर्ट स्थित एसीएमएम राकेश पंडित की अदालत ने सुनाया है।
न्यू संजय अमर कालोनी निवासी पुष्पा रानी ने 2 जुलाई 2005 को अदालत में तत्कालीन थानाध्यक्ष वाईएस नेगी, एएसआई जयप्रकाश और कांस्टेबल प्रेमपाल के खिलाफ अर्जी दी थी। पुष्पा रानी का कहना था कि नेगी और जयप्रकाश ने उनसे 8 जून 2004 को 2 हजार रुपये की मांग की थी। उन्होंने रकम देने से मना करते हुए इस संबंध में आला अधिकारियों को शिकायत की थी। 16 मई 2005 को सुबह साढ़े 10 बजे नेगी, जयप्रकाश और प्रेमपाल जबरन उनके घर में घुस गए। तीनों पुलिसकर्मियों ने पुष्पा के पति रामप्रसाद की खूब पिटाई की और घर से बाहर ले आए। पड़ोसी अजय कुमार ने बीच-बचाव का प्रयास किया तो पुलिस कर्मियों ने उसे धमका कर वहां से हटा दिया। इसके बाद नेगी के कहने पर प्रेमपाल ने उनकी दुकान के गल्ले से 6200 रुपये निकाल लिये और रामप्रसाद को थाना आनंद विहार ले गए। पुलिसकर्मियों ने रामप्रसाद को छोड़ने की एवज में पुष्पा से 25 हजार रुपये मांगे। पुष्पा ने रुपये नहीं दिये तो पुलिसकर्मियों ने रामप्रसाद पर शराब तस्करी का मामला दर्ज कर उसके पास से 10 बोतल शराब बरामद दिखा दी। तीनों पुलिसकर्मियों को कई बार सम्मन भेज कर अदालत ने तलब किया, मगर तीनों पेश नहीं हुए। इसके पश्चात तीनों के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया गया। सोमवार सुबह मौजूदा समय में एंटी करप्शन ब्रांच के एसीपी वाईएस नेगी, एएसआई जयप्रकाश और कांस्टेबल प्रेमपाल एसीएमएम राकेश पंडित की अदालत में पेश हुए। अदालत ने तीनों पुलिस कर्मियों की जमानत अर्जी खारिज करते हुए 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
Wednesday, May 20, 2009
एंटी करप्शन ब्रांच के एसीपी को करप्शन में जेल
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