Wednesday, June 24, 2009
बाबा जी
गाड़ी लेट थी। मैं प्लेटफार्म पर एक बैंच पर बैठा था। पास में एक दम्पत्ति अपने तीन बच्चों के साथ थे। पिता कुछ लेने के लिए प्लेटफार्म के बाहर गये तो उनका बड़ा बच्चा अपनी मां को परेशान करने लगा। कभी इधर जाता, तो कभी उधर। वह किसी तरह नहीं माना तो मां ने डराने का प्रयास किया, 'लल्ला! भेड़िया आ जायेगा जल्दी से यहां आकर बैठ जा।' उस बच्चे ने भी उतनी ही मासूमियत से उत्तर दिया- 'भेड़िया यहां कहां से आ जायेगा, यहां तो बहुत आदमी है।' और पुन: शैतानी करने में जुट गया। इसके बाद उस बच्चे की मां के दिमाग में एक और युक्ति आई। उसने बेटे से कहा, 'लल्ला! अभी बाबा आएगा और तुम्हे पकड़कर ले जायेगा।' यह युक्ति सफल रही। वह लड़का जहां था, वहीं ठिठककर रह गया। इसके बाद उसका चेहरा देखने लायक था। मेरे साथ ही अन्य लोगों के आश्चर्य की सीमा न रही। भेड़िए से न डरने वाला, बाबा के नाम से ही इतना सहम गया कि चुपचाप अपनी मां के पास आकर दुबक गया।
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