जज साहब! पड़ोसी की खिड़की मेरे लिए जी का जंजाल बन गई है। खिड़की को न तो पुलिस बंद करा सकी और न ही नगर निगम। ऐसे में मुझे अदालत की शरण लेनी पड़ी। जाफराबाद के युवक ने कड़कड़डूमा कोर्ट में खिड़की बंद कराने के लिए याचिका दायर की है।
जाफराबाद इलाके में रहने वाले इमरान (काल्पनिक नाम) ने पड़ोसी शाहिद (काल्पनिक नाम) के मकान की खिड़की बंद कराने के लिए सिविल जज की अदालत में याचिका दायर की है। याचिका में इमरान का कहना है कि वह जाफराबाद स्थित मकान में प्रथम तल पर किराये पर रहता है। उसके कमरे के आगे बालकनी है। उसकी शादी को तीन माह हुए हैं। सामने बने मकान में रहने वाले युवक शाहिद ने कमरे की दीवार तोड़ कर उनकी तरफ खिड़की निकाल ली। वहां से शाहिद उसकी पत्नी को गलत इशारे करता है। उसने कई बार शाहिद को धमकाया, लेकिन वह हरकतों से बाज नहीं आया। जब भी वह बालकनी में सिगरेट पीने के लिए खड़ा होता है तो शाहिद उस पर पानी गिरा देता है। उसने कई बार शाहिद के खिलाफ पुलिस को शिकायत की, लेकिन उसने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस ने कहा कि शाहिद ने खिड़की बिना नक्शा पास कराए मकान में अवैध रूप से बनाई है। वह इसकी नगर निगम को शिकायत कर उसकी खिड़की बंद करा सकता है। उसने मामले की शिकायत निगम अधिकारियों को भी की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। निगम अधिकारियों के चक्कर काटने पर भी उसे लाभ न पहुंचा तो उसे मजबूरन पड़ोसी की खिड़की बंद कराने के लिए अदालत की शरण लेनी पड़ी।
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