पहले चुनावी मौसम में गली-गली में कार्यकर्ताओं की फौज घूमा करती थी। लेकिन इस चुनाव में प्रत्याशियों का हाथ-पैर कहे जाने वाले कार्यकर्ता आजकल ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं। जिंदाबाद के नारों से आसमान गुंजा देने वाले कार्यकर्ताओं के बिना प्रत्याशी बेहद मायूस नजर आ रहे हैं। यही कारण है कि उम्मीदवार मतदाताओं से कहीं ज्यादा कार्यकर्ताओं को मनाने में जुटे हुए हैं। यही हाल कमोबेश दिल्ली से चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों का है।
चुनाव के दिनों में कहीं जनसभा के लिए भीड़ एकत्रित करनी हो या फिर गली-मोहल्ले में घूम-घूमकर लोगों तक प्रत्याशियों का संदेश पहुंचाना हो, ये सारे काम कार्यकर्ताओं के जिम्मे होते थे। बदले में प्रत्याशी अपने कार्यकर्ताओं के मुंह से निकली हर मांग को पूरा करने की कोशिश करते थे। मगर अब नेता और कार्यकर्ताओं में वह रिश्ता ही नहीं पनप पाता है कि चुनावी बिगुल बजते ही वे अपने प्रत्याशी के समर्थन में मैदान में कूद पडें। अब तो सबकुछ अस्थायी है। चुनाव के बाद नेता कार्यकर्ताओं से पीछा छुड़ा लेते हैं। इसके अलावा जानकारों का कहना है कि चूंकि दिल्ली में अगले वर्ष राष्ट्रमंडल खेलों का आयोजन होना है, इस कारण जो लोग पहले बेरोजगार थे और चुनाव के दिनों में प्रत्याशियों के पीछे-पीछे नारे लगाते फिरते थे, वे अब विकास कार्यो में लगकर कमाई करने में जुटे हुए हैं। इस समय दिल्ली में खेल गांव, स्टेडियम, सड़कें, फ्लाईओवर, फ्लैट आदि खेल आयोजन से संबंधित कार्यो को निर्धारित अवधि में पूरा करने का दबाव है। इसके अलावा मेट्रो के विभिन्न लाइनों के विस्तार का काम दिल्ली व एनसीआर में चल रहा है। इस कारण एक खास तबके के लोग चुनावों में हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं। निर्माण कार्य से जुड़ी तमाम कंपनियां ऐसे लोगों को मुंहमांगी वेतन दे रही हैं, ताकि निर्माण कार्य समय सीमा पर पूरा हो सके। वैसे भी चुनाव की सरगर्मी महज एक महीने की होती है, जबकि इन कार्यो में कम से कम डेढ़ से दो साल तक के लिए रोजगार मिला हुआ है।
जानकारों के अनुसार प्रत्याशियों को कार्यकर्ता न मिल पाने का एक दूसरा कारण भी है। राजनीतिक पार्टियों से जुड़े एक खास तबके के लोग चुनाव में अपने मनचाहे प्रत्याशी को टिकट न मिलने के कारण भी नाराज हैं। पार्टी ने जिस प्रत्याशी को टिकट दिया है, वह उन्हें वह थोपा हुआ उम्मीदवार लगता है। इसलिए वे काम के समय इधर-उधर खिसक जाते हैं। चांदनी चौक, नई दिल्ली, पश्चिमी दिल्ली सीट पर चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशियों के साथ ऐसा हो रहा है, वहीं कांग्रेस प्रत्याशी जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार का टिकट कटने से भी यह स्थिति उत्पन्न हो गई है। नतीजतन चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों का हाल यह है कि वे फिलहाल कार्यकर्ताओं का दिल जीतने के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं।
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