कही-अनकही
Saturday, April 25, 2009
bhavnao ko samjho!!!
न कोई है न कोई था जिंदगी में तुम्हारे सिवा
तेरा मुझसे है पहले का नाता कोई यूंही नही दिल लगता कोई
जरा नज़रों से कहदो जी निशाना चूक न जाए
ये हमे है यकीन बेवफा वो नही फ़िर वजह क्या हुई???
बच न सका कोई आए जितने
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