कही-अनकही
Saturday, April 25, 2009
एहसास... ये एहसास ही तो है!!!
तेरा साथ है कितना प्यारा कम लगता है जीवन सारा
कब अलविदा न कहना...
तेरा साथ है तो मुझे क्या खुशी है अंधेरे में भी मिल गयी रौशनी है
किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अबकी शायद हम भी रोयें सावन के महीने में
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