कही-अनकही
Saturday, April 25, 2009
जिंदगी मौत न बन जाए सम्भालों यारों...
आए हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बन के...
पलट मेरी जान तेरे कुर्बान की तेरा ध्यान किधर है...
आ देखे ज़रा किस्म कितना है दम
इधर दौड़ है उधर दौड़ है...ये जीना यारों दौड़ है...
दौड़ा दौड़ा भागा भागा सा... दौड़ा दौड़ा भागा भागा सा...वक्त ये सख्त है थोड़ा सा...
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